न सवालों का ज़वाब दो
न जवाबों से सवाल पूछो
अपने आप सारे प्रश्न चिन्ह
सिमट जायेंगे
और तुम फिर स्वतंत्र हो जाओगे
अपने आयामों को नापने के लिए
न बनो इस अंतहीन सफ़र के मुसाफिर
ये सफ़र विक्षिप्त कर देता है
सारी संवेदनाओं को
छिन्न-भिन्न कर देता है
जीते जी मानवीय इक़छाओं को
नरक में ला खड़ा करता है
क्यूंकि
इस सफ़र का ना कोई
..... आदि है
..... ना अंत
गुन्जन
१४/९/११
क्यूंकि
ReplyDeleteइस सफ़र का ना कोई
..... आदि है
..... ना अंत..... बहुत ही अच्छी..... आप हर बार कुछ नया और गहन विचार ही रचना पिरोती है......
सुन्दर एवं भावपूर्ण .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाव्यक्ति ......
ReplyDeleteअच्छे भाव,
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति|
sundar abhivykti...
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